2017 से वर्तमान तक की यात्रा
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या दीपोत्सव को एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन के रूप में शुरू किया। तब से यह आयोजन हर वर्ष बड़ा और भव्य होता जा रहा है। 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, यह उत्सव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
📅 समय और अवधि
- मुख्य दिन: दीवाली से एक दिन पहले (कार्तिक चतुर्दशी)
- उत्सव अवधि: 5-7 दिन
- तैयारी: 1-2 महीने पहले से
- दीप प्रज्वलन: संध्या काल (शाम 6-7 बजे)
📍 मुख्य स्थल
- राम की पैड़ी: मुख्य आयोजन स्थल
- सरयू घाट: 51+ घाटों पर दीप
- राम जन्मभूमि: मंदिर परिसर
- हनुमानगढ़ी: मंदिर और आसपास
- अयोध्या के मुख्य मार्ग: पूरी नगरी
दीपोत्सव आयोजन का संपूर्ण प्रोसेस
दीपोत्सव की तैयारी लगभग 2 महीने पहले से शुरू हो जाती है। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में हजारों स्वयंसेवक, छात्र-छात्राएं, प्रशासनिक अधिकारी, कलाकार, और स्थानीय लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।
महत्वपूर्ण नोट: दीपों की संख्या प्रतिवर्ष बदलती रहती है और यह आयोजन की योजना, बजट, और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती है। हाल के वर्षों में यह संख्या 9 लाख से लेकर 21 लाख से भी अधिक रही है।
📋 चरण 1: योजना और तैयारी (2 महीने पहले)
- प्रशासनिक बैठकें: जिला प्रशासन, पुलिस, और स्वयंसेवी संगठनों की बैठकें
- बजट निर्धारण: सरकारी और निजी फंडिंग की व्यवस्था
- स्वयंसेवकों की भर्ती: स्कूल-कॉलेज के छात्र, एनएसएस, एनसीसी कैडेट्स
- सामग्री की खरीद: लाखों मिट्टी के दीपक, तेल, बत्ती की व्यवस्था
🧹 चरण 2: घाटों की सफाई (1 महीने पहले)
- सरयू घाटों की सफाई: 51+ घाटों की गहन सफाई, कचरा हटाना
- घाट का जीर्णोद्धार: टूटी सीढ़ियों की मरम्मत, पेंटिंग
- विद्युत व्यवस्था: लाइटिंग के लिए तारों और बल्बों की व्यवस्था
- सुरक्षा बैरियर: भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेड्स लगाना
🎨 चरण 3: सजावट और रंगोली (15-20 दिन पहले)
- रंगोली निर्माण: कलाकारों द्वारा घाटों पर विशाल रंगोली बनाई जाती है
- फूलों की सजावट: मंदिरों और घाटों को फूलों से सजाया जाता है
- ध्वज और तोरण: पूरी नगरी में रंग-बिरंगे ध्वज और तोरण लगाए जाते हैं
- लाइटिंग व्यवस्था: LED लाइट्स और डेकोरेटिव लाइटिंग
🪔 चरण 4: दीपक तैयारी (10 दिन पहले)
यह सबसे महत्वपूर्ण और श्रमसाध्य चरण है। लाखों मिट्टी के दीपक तैयार करने और उन्हें व्यवस्थित करने में हजारों लोग जुटते हैं:
- दीपक निर्माण: स्थानीय कुम्हारों द्वारा लाखों मिट्टी के दीपक बनाए जाते हैं
- दीपक की जांच: टूटे या खराब दीपकों को अलग किया जाता है
- दीपकों की गिनती: प्रत्येक घाट के लिए दीपकों की संख्या निर्धारित की जाती है
- भंडारण: दीपकों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाता है
👨🎓 चरण 5: स्वयंसेवकों और छात्रों का प्रशिक्षण (5-7 दिन पहले)
हजारों छात्र-छात्राएं और स्वयंसेवक इस आयोजन में भाग लेते हैं। उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है:
- दीप बिछाने की तकनीक: कैसे दीपकों को सही दूरी और पैटर्न में बिछाएं
- तेल भरने की विधि: प्रत्येक दीपक में सही मात्रा में तेल डालना
- बत्ती लगाना: रुई की बत्ती को सही तरीके से लगाना
- सुरक्षा नियम: आग से बचाव और आपातकालीन प्रक्रिया
- समय प्रबंधन: निर्धारित समय में काम पूरा करना
🎯 चरण 6: दीप बिछाने का कार्य (D-Day से 2 दिन पहले शुरू)
यह सबसे चुनौतीपूर्ण और समय लेने वाला चरण है। लाखों दीपक बिछाने का यह कार्य मुख्य आयोजन से 2 दिन पहले ही शुरू हो जाता है क्योंकि इसमें काफी समय लगता है:
D-2 और D-1 (दो दिन पहले से): दीपक बिछाना
- टीमों का गठन: प्रत्येक घाट के लिए अलग टीम बनाई जाती है
- दीपकों का वितरण: ट्रकों से दीपक घाटों तक पहुंचाए जाते हैं
- पैटर्न के अनुसार बिछाना: पहले से तय डिजाइन के अनुसार दीप बिछाए जाते हैं
- दूरी का ध्यान: प्रत्येक दीप के बीच समान दूरी रखी जाती है (लगभग 6-8 इंच)
- विशेष डिजाइन: घाटों पर "राम", "ॐ", "दीया" या अन्य धार्मिक प्रतीक बनाए जाते हैं
- समय लगता है: लाखों दीप बिछाने में 2 पूरे दिन का समय लगता है
⏰ क्यों 2 दिन पहले से शुरू होता है?
- 51+ घाटों पर लाखों दीप बिछाना बहुत समय लेने वाला काम है
- प्रत्येक दीप को सही स्थान और दूरी पर रखना होता है
- विशेष पैटर्न और डिजाइन बनाने में समय लगता है
- गिनीज रिकॉर्ड के लिए सटीक गिनती आवश्यक है
- मुख्य दिन केवल तेल भरने और जलाने के लिए रखा जाता है
👥 छात्रों और स्वयंसेवकों का अमूल्य योगदान
अयोध्या दीपोत्सव की सफलता में छात्र-छात्राओं और सामाजिक संगठनों का सबसे बड़ा योगदान है। विशेष रूप से डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के हजारों छात्र-छात्राएं इस आयोजन की रीढ़ हैं:
🎓 मुख्य योगदानकर्ता:
- डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय: सभी संकायों के हजारों छात्र-छात्राएं
- स्थानीय स्कूल और कॉलेज: अयोध्या और आसपास के शिक्षण संस्थान
- एनएसएस (NSS): राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक
- एनसीसी (NCC): राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेट्स
- सामाजिक संगठन: स्थानीय युवा मंडल, महिला समूह, धार्मिक संगठन
- स्थानीय निवासी: अयोध्या के लोग अपनी सेवा देते हैं
छात्रों की भूमिका और जिम्मेदारियां:
- दीप बिछाना (D-2, D-1): घाटों पर दीपकों को सही पैटर्न और दूरी में बिछाना
- तेल भरना (D-Day): मुख्य दिन सुबह से प्रत्येक दीप में तेल भरना
- बत्ती लगाना (D-Day): रुई की बत्ती को तेल में डुबोकर सही स्थिति में रखना
- दीप जलाना (संध्या): संध्या समय दीप प्रज्वलन में सहायता
- भीड़ प्रबंधन: पर्यटकों को मार्गदर्शन और सुरक्षा
- सफाई (अगले दिन): कार्यक्रम के बाद घाटों की सफाई
छात्रों का संघर्ष और समर्पण:
- 3 दिन का निरंतर कार्य: D-2 से D-Day तक लगातार मेहनत
- लंबे घंटे: प्रतिदिन 10-12 घंटे का कठिन परिश्रम
- शारीरिक श्रम: हजारों बार झुकना, उठना, दीप बिछाना, तेल भरना
- मौसम की चुनौती: नवंबर की ठंड, हवा, और कभी-कभी बारिश में भी काम
- समय का दबाव: निर्धारित समय में लाखों दीप तैयार करने की जिम्मेदारी
- टीम वर्क: सभी मिलकर एक लक्ष्य के लिए काम करना
- भावनात्मक जुड़ाव: राम के लिए यह सेवा एक आध्यात्मिक अनुभव
- पढ़ाई का त्याग: परीक्षा की तैयारी छोड़कर सेवा में जुटना
"डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं और अन्य सामाजिक संगठनों के स्वयंसेवक दीपोत्सव की आत्मा हैं। उनके बिना यह आयोजन संभव नहीं है। तीन दिन तक लगातार मेहनत, ठंड में घाटों पर काम, हजारों बार झुकना-उठना, लाखों दीपों में तेल भरना - यह सब केवल भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण का प्रमाण है। जब शाम को लाखों दीप जलते हैं, तो उनके चेहरे पर गर्व और खुशी की चमक होती है। यह उनके जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।"
📅 चरण 7: मुख्य दिन की पूर्ण समय-सारणी (D-Day)
सुबह (6:00 AM - 12:00 PM)
तेल भरने का कार्य शुरू
- हजारों छात्र-छात्राएं काम पर लग जाते हैं
- लाखों दीपों में सरसों का तेल भरना
- रुई की बत्ती लगाना
दोपहर (12:00 PM - 4:00 PM)
तेल और बत्ती का कार्य जारी
- निरंतर तेल भरना और बत्ती लगाना
- सभी दीपों की गुणवत्ता जांच
- पर्यटकों का आगमन शुरू
संध्या (4:00 PM - 6:30 PM)
अंतिम तैयारी
- सभी दीपों की अंतिम जांच
- मोमबत्तियों का वितरण
- मुख्यमंत्री योगी जी का आगमन
- लाखों श्रद्धालु घाटों पर एकत्र
🔥 मुख्य समय (6:30 PM - 8:00 PM)
दीप प्रज्वलन
- 6:30 PM: सरयू आरती शुरू
- 6:40 PM: CM योगी जी मुख्य दीप प्रज्वलन
- 6:45 PM: सामूहिक दीप प्रज्वलन
- 7:00 PM: सभी दीप प्रज्वलित
- 7:30 PM: लेजर शो और आतिशबाजी
रात्रि (8:00 PM - 12:00 AM): उत्सव का आनंद
लाखों दीपों की दिव्य रोशनी | भजन-कीर्तन | सांस्कृतिक कार्यक्रम
🧹 चरण 8: सफाई और समापन (D+1 - अगले दिन)
- प्रातःकाल सफाई: सभी घाटों से दीपक हटाए जाते हैं
- पर्यावरण संरक्षण: मिट्टी के दीपकों को पुनः उपयोग या पुनर्चक्रण
- तेल का निपटान: बचे हुए तेल को सही तरीके से निपटाया जाता है
- स्वयंसेवकों को सम्मान: प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरण
💪 संख्या में आयोजन की विशालता
(नोट: दीपों की संख्या प्रतिवर्ष बदलती रहती है - यहां हाल के वर्षों का औसत डेटा दिया गया है)
9-21 लाख
मिट्टी के दीपक (वर्ष अनुसार)
15,000+
स्वयंसेवक और छात्र
10-15 लाख
दर्शक और पर्यटक
🙏 स्वयंसेवकों और छात्रों के लिए सम्मान
"डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, एनएसएस, एनसीसी के स्वयंसेवक, और विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता - ये सभी दीपोत्सव के असली नायक हैं। तीन दिन की कठिन मेहनत, ठंड में घाटों पर काम, लाखों दीपों में सरसों का तेल भरना, बत्ती लगाना, और फिर मोमबत्ती से दीप जलाना - यह सब केवल भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा का प्रमाण है। जब शाम को लाखों दीप जलते हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्य दीप प्रज्वलन करते हैं, तो उस क्षण में इन छात्रों की मेहनत रंग लाती है। हर दीप में उनकी मेहनत और प्रेम की ज्योति है। जय श्री राम!"