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अयोध्या दीपोत्सव

विश्व का सबसे भव्य दीप महोत्सव | 21 लाख+ दीपों की दिव्य ज्योति | गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

📖 दीपोत्सव की संपूर्ण जानकारी

🪔 अयोध्या दीपोत्सव - परिचय

अयोध्या दीपोत्सव विश्व का सबसे बड़ा और भव्य दीप महोत्सव है, जो प्रतिवर्ष दीवाली की मुख्य संध्या से एक दिन पहले (कार्तिक चतुर्दशी) मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है, जब अयोध्यावासियों ने पूरी नगरी को दीपों से सजाया था।

"नगर निवासी सब नर नारी। हरषे जनु नव निधि पाई भारी॥
सजे सकल सुर साधु समाजा। बाजने लगे बधाई बाजा॥"

(रामचरितमानस, उत्तरकाण्ड) - जब राम अयोध्या लौटे तो सभी नगरवासी ऐसे हर्षित हुए मानो उन्हें नौ निधियां मिल गई हों।

वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है। अयोध्या दीपोत्सव ने कई बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं और अब यह भारत के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में से एक बन गया है।

📜 ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व

त्रेतायुग में राम की अयोध्या वापसी

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के अनुसार, जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तो कार्तिक अमावस्या की वह रात्रि थी। अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजकुमार के स्वागत में पूरी नगरी को दीपों से सजाया। यह भारत में दीवाली मनाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।

रामायण में वर्णन

वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड में अयोध्या की सजावट का विस्तृत वर्णन मिलता है। नगर के प्रत्येक घर, मार्ग, और घाट को दीपों से सजाया गया था। फूलों की मालाएं, ध्वजाएं, और तोरण द्वारों को सुशोभित किया गया था।

भरत ने नंदिग्राम से राम के चरण पादुका लेकर अयोध्या में प्रवेश किया और राम का राज्याभिषेक हुआ। इस खुशी में पूरी अयोध्या ने दीपोत्सव मनाया।

दीपावली और अयोध्या का संबंध

दीपावली शब्द "दीप" (दीपक) और "आवली" (पंक्ति) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "दीपों की पंक्ति"। यह परंपरा अयोध्या से ही शुरू हुई थी। आज भी पूरे भारत और विश्व में जब दीवाली मनाई जाती है, तो वह अयोध्या में राम की वापसी की याद में ही मनाई जाती है।

🏆 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स

अयोध्या दीपोत्सव ने कई बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है:

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2018

3,01,152 दीप

7 नवंबर 2018 को सरयू नदी के घाटों पर एक साथ 3 लाख से अधिक दीप प्रज्वलित किए गए। यह पहली बार था जब अयोध्या ने गिनीज रिकॉर्ड बनाया।

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2019

4,00,000+ दीप

27 अक्टूबर 2019 को 4 लाख से अधिक दीप जलाकर पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया गया। यह आयोजन राम की पैड़ी और अन्य 51 घाटों पर किया गया।

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2021

9,00,000+ दीप

4 नवंबर 2021 को लगभग 9 लाख दीप एक साथ प्रज्वलित किए गए। कोविड-19 महामारी के बाद यह पहला बड़ा आयोजन था।

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2022-2024

21,00,000+ दीप

2022 से लगातार 21 लाख से अधिक दीप जलाए जा रहे हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा दीप महोत्सव है। 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह आयोजन और भी भव्य हुआ।

🌍 वैश्विक मान्यता

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने अयोध्या दीपोत्सव को "विश्व का सबसे बड़ा दीप महोत्सव" (Largest Display of Oil Lamps) के रूप में मान्यता दी है। यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आयोजन क्षमता का प्रतीक है।

🎯 आधुनिक दीपोत्सव का आयोजन

2017 से वर्तमान तक की यात्रा

वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या दीपोत्सव को एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन के रूप में शुरू किया। तब से यह आयोजन हर वर्ष बड़ा और भव्य होता जा रहा है। 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, यह उत्सव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।

📅 समय और अवधि

  • मुख्य दिन: दीवाली से एक दिन पहले (कार्तिक चतुर्दशी)
  • उत्सव अवधि: 5-7 दिन
  • तैयारी: 1-2 महीने पहले से
  • दीप प्रज्वलन: संध्या काल (शाम 6-7 बजे)

📍 मुख्य स्थल

  • राम की पैड़ी: मुख्य आयोजन स्थल
  • सरयू घाट: 51+ घाटों पर दीप
  • राम जन्मभूमि: मंदिर परिसर
  • हनुमानगढ़ी: मंदिर और आसपास
  • अयोध्या के मुख्य मार्ग: पूरी नगरी

दीपोत्सव आयोजन का संपूर्ण प्रोसेस

दीपोत्सव की तैयारी लगभग 2 महीने पहले से शुरू हो जाती है। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में हजारों स्वयंसेवक, छात्र-छात्राएं, प्रशासनिक अधिकारी, कलाकार, और स्थानीय लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।

महत्वपूर्ण नोट: दीपों की संख्या प्रतिवर्ष बदलती रहती है और यह आयोजन की योजना, बजट, और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती है। हाल के वर्षों में यह संख्या 9 लाख से लेकर 21 लाख से भी अधिक रही है।

📋 चरण 1: योजना और तैयारी (2 महीने पहले)

  • प्रशासनिक बैठकें: जिला प्रशासन, पुलिस, और स्वयंसेवी संगठनों की बैठकें
  • बजट निर्धारण: सरकारी और निजी फंडिंग की व्यवस्था
  • स्वयंसेवकों की भर्ती: स्कूल-कॉलेज के छात्र, एनएसएस, एनसीसी कैडेट्स
  • सामग्री की खरीद: लाखों मिट्टी के दीपक, तेल, बत्ती की व्यवस्था

🧹 चरण 2: घाटों की सफाई (1 महीने पहले)

  • सरयू घाटों की सफाई: 51+ घाटों की गहन सफाई, कचरा हटाना
  • घाट का जीर्णोद्धार: टूटी सीढ़ियों की मरम्मत, पेंटिंग
  • विद्युत व्यवस्था: लाइटिंग के लिए तारों और बल्बों की व्यवस्था
  • सुरक्षा बैरियर: भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेड्स लगाना

🎨 चरण 3: सजावट और रंगोली (15-20 दिन पहले)

  • रंगोली निर्माण: कलाकारों द्वारा घाटों पर विशाल रंगोली बनाई जाती है
  • फूलों की सजावट: मंदिरों और घाटों को फूलों से सजाया जाता है
  • ध्वज और तोरण: पूरी नगरी में रंग-बिरंगे ध्वज और तोरण लगाए जाते हैं
  • लाइटिंग व्यवस्था: LED लाइट्स और डेकोरेटिव लाइटिंग

🪔 चरण 4: दीपक तैयारी (10 दिन पहले)

यह सबसे महत्वपूर्ण और श्रमसाध्य चरण है। लाखों मिट्टी के दीपक तैयार करने और उन्हें व्यवस्थित करने में हजारों लोग जुटते हैं:

  • दीपक निर्माण: स्थानीय कुम्हारों द्वारा लाखों मिट्टी के दीपक बनाए जाते हैं
  • दीपक की जांच: टूटे या खराब दीपकों को अलग किया जाता है
  • दीपकों की गिनती: प्रत्येक घाट के लिए दीपकों की संख्या निर्धारित की जाती है
  • भंडारण: दीपकों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाता है

👨‍🎓 चरण 5: स्वयंसेवकों और छात्रों का प्रशिक्षण (5-7 दिन पहले)

हजारों छात्र-छात्राएं और स्वयंसेवक इस आयोजन में भाग लेते हैं। उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है:

  • दीप बिछाने की तकनीक: कैसे दीपकों को सही दूरी और पैटर्न में बिछाएं
  • तेल भरने की विधि: प्रत्येक दीपक में सही मात्रा में तेल डालना
  • बत्ती लगाना: रुई की बत्ती को सही तरीके से लगाना
  • सुरक्षा नियम: आग से बचाव और आपातकालीन प्रक्रिया
  • समय प्रबंधन: निर्धारित समय में काम पूरा करना

🎯 चरण 6: दीप बिछाने का कार्य (D-Day से 2 दिन पहले शुरू)

यह सबसे चुनौतीपूर्ण और समय लेने वाला चरण है। लाखों दीपक बिछाने का यह कार्य मुख्य आयोजन से 2 दिन पहले ही शुरू हो जाता है क्योंकि इसमें काफी समय लगता है:

D-2 और D-1 (दो दिन पहले से): दीपक बिछाना
  • टीमों का गठन: प्रत्येक घाट के लिए अलग टीम बनाई जाती है
  • दीपकों का वितरण: ट्रकों से दीपक घाटों तक पहुंचाए जाते हैं
  • पैटर्न के अनुसार बिछाना: पहले से तय डिजाइन के अनुसार दीप बिछाए जाते हैं
  • दूरी का ध्यान: प्रत्येक दीप के बीच समान दूरी रखी जाती है (लगभग 6-8 इंच)
  • विशेष डिजाइन: घाटों पर "राम", "ॐ", "दीया" या अन्य धार्मिक प्रतीक बनाए जाते हैं
  • समय लगता है: लाखों दीप बिछाने में 2 पूरे दिन का समय लगता है
⏰ क्यों 2 दिन पहले से शुरू होता है?
  • 51+ घाटों पर लाखों दीप बिछाना बहुत समय लेने वाला काम है
  • प्रत्येक दीप को सही स्थान और दूरी पर रखना होता है
  • विशेष पैटर्न और डिजाइन बनाने में समय लगता है
  • गिनीज रिकॉर्ड के लिए सटीक गिनती आवश्यक है
  • मुख्य दिन केवल तेल भरने और जलाने के लिए रखा जाता है

👥 छात्रों और स्वयंसेवकों का अमूल्य योगदान

अयोध्या दीपोत्सव की सफलता में छात्र-छात्राओं और सामाजिक संगठनों का सबसे बड़ा योगदान है। विशेष रूप से डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के हजारों छात्र-छात्राएं इस आयोजन की रीढ़ हैं:

🎓 मुख्य योगदानकर्ता:
  • डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय: सभी संकायों के हजारों छात्र-छात्राएं
  • स्थानीय स्कूल और कॉलेज: अयोध्या और आसपास के शिक्षण संस्थान
  • एनएसएस (NSS): राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक
  • एनसीसी (NCC): राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेट्स
  • सामाजिक संगठन: स्थानीय युवा मंडल, महिला समूह, धार्मिक संगठन
  • स्थानीय निवासी: अयोध्या के लोग अपनी सेवा देते हैं
छात्रों की भूमिका और जिम्मेदारियां:
  • दीप बिछाना (D-2, D-1): घाटों पर दीपकों को सही पैटर्न और दूरी में बिछाना
  • तेल भरना (D-Day): मुख्य दिन सुबह से प्रत्येक दीप में तेल भरना
  • बत्ती लगाना (D-Day): रुई की बत्ती को तेल में डुबोकर सही स्थिति में रखना
  • दीप जलाना (संध्या): संध्या समय दीप प्रज्वलन में सहायता
  • भीड़ प्रबंधन: पर्यटकों को मार्गदर्शन और सुरक्षा
  • सफाई (अगले दिन): कार्यक्रम के बाद घाटों की सफाई
छात्रों का संघर्ष और समर्पण:
  • 3 दिन का निरंतर कार्य: D-2 से D-Day तक लगातार मेहनत
  • लंबे घंटे: प्रतिदिन 10-12 घंटे का कठिन परिश्रम
  • शारीरिक श्रम: हजारों बार झुकना, उठना, दीप बिछाना, तेल भरना
  • मौसम की चुनौती: नवंबर की ठंड, हवा, और कभी-कभी बारिश में भी काम
  • समय का दबाव: निर्धारित समय में लाखों दीप तैयार करने की जिम्मेदारी
  • टीम वर्क: सभी मिलकर एक लक्ष्य के लिए काम करना
  • भावनात्मक जुड़ाव: राम के लिए यह सेवा एक आध्यात्मिक अनुभव
  • पढ़ाई का त्याग: परीक्षा की तैयारी छोड़कर सेवा में जुटना

"डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं और अन्य सामाजिक संगठनों के स्वयंसेवक दीपोत्सव की आत्मा हैं। उनके बिना यह आयोजन संभव नहीं है। तीन दिन तक लगातार मेहनत, ठंड में घाटों पर काम, हजारों बार झुकना-उठना, लाखों दीपों में तेल भरना - यह सब केवल भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण का प्रमाण है। जब शाम को लाखों दीप जलते हैं, तो उनके चेहरे पर गर्व और खुशी की चमक होती है। यह उनके जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।"

📅 चरण 7: मुख्य दिन की पूर्ण समय-सारणी (D-Day)

सुबह (6:00 AM - 12:00 PM)

तेल भरने का कार्य शुरू

  • हजारों छात्र-छात्राएं काम पर लग जाते हैं
  • लाखों दीपों में सरसों का तेल भरना
  • रुई की बत्ती लगाना
दोपहर (12:00 PM - 4:00 PM)

तेल और बत्ती का कार्य जारी

  • निरंतर तेल भरना और बत्ती लगाना
  • सभी दीपों की गुणवत्ता जांच
  • पर्यटकों का आगमन शुरू
संध्या (4:00 PM - 6:30 PM)

अंतिम तैयारी

  • सभी दीपों की अंतिम जांच
  • मोमबत्तियों का वितरण
  • मुख्यमंत्री योगी जी का आगमन
  • लाखों श्रद्धालु घाटों पर एकत्र
🔥 मुख्य समय (6:30 PM - 8:00 PM)

दीप प्रज्वलन

  • 6:30 PM: सरयू आरती शुरू
  • 6:40 PM: CM योगी जी मुख्य दीप प्रज्वलन
  • 6:45 PM: सामूहिक दीप प्रज्वलन
  • 7:00 PM: सभी दीप प्रज्वलित
  • 7:30 PM: लेजर शो और आतिशबाजी
रात्रि (8:00 PM - 12:00 AM): उत्सव का आनंद

लाखों दीपों की दिव्य रोशनी | भजन-कीर्तन | सांस्कृतिक कार्यक्रम

🧹 चरण 8: सफाई और समापन (D+1 - अगले दिन)

  • प्रातःकाल सफाई: सभी घाटों से दीपक हटाए जाते हैं
  • पर्यावरण संरक्षण: मिट्टी के दीपकों को पुनः उपयोग या पुनर्चक्रण
  • तेल का निपटान: बचे हुए तेल को सही तरीके से निपटाया जाता है
  • स्वयंसेवकों को सम्मान: प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरण

💪 संख्या में आयोजन की विशालता

(नोट: दीपों की संख्या प्रतिवर्ष बदलती रहती है - यहां हाल के वर्षों का औसत डेटा दिया गया है)

9-21 लाख

मिट्टी के दीपक (वर्ष अनुसार)

15,000+

स्वयंसेवक और छात्र

10,000+

लीटर तेल

51+

सरयू घाट

10-15 लाख

दर्शक और पर्यटक

3 दिन

पूर्ण आयोजन अवधि

🙏 स्वयंसेवकों और छात्रों के लिए सम्मान

"डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, एनएसएस, एनसीसी के स्वयंसेवक, और विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता - ये सभी दीपोत्सव के असली नायक हैं। तीन दिन की कठिन मेहनत, ठंड में घाटों पर काम, लाखों दीपों में सरसों का तेल भरना, बत्ती लगाना, और फिर मोमबत्ती से दीप जलाना - यह सब केवल भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा का प्रमाण है। जब शाम को लाखों दीप जलते हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्य दीप प्रज्वलन करते हैं, तो उस क्षण में इन छात्रों की मेहनत रंग लाती है। हर दीप में उनकी मेहनत और प्रेम की ज्योति है। जय श्री राम!"

🎭 सांस्कृतिक कार्यक्रम और आकर्षण

दीपोत्सव के दौरान अयोध्या में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:

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रामलीला प्रदर्शन

अयोध्या में भव्य रामलीला का मंचन किया जाता है। देश के प्रसिद्ध कलाकार राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि की भूमिका निभाते हैं। रामलीला में रामायण के प्रमुख प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

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सरयू आरती

प्रतिदिन संध्या काल में सरयू नदी के घाटों पर भव्य आरती का आयोजन होता है। हजारों दीप सरयू में प्रवाहित किए जाते हैं। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और आध्यात्मिक होता है। आरती के समय वैदिक मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन होता है।

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3D लेजर शो

आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए रामायण की कथा को 3D लेजर शो के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। यह शो सरयू नदी के किनारे या राम जन्मभूमि परिसर में आयोजित किया जाता है। लेजर, लाइट और साउंड का अद्भुत संयोजन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

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भजन-कीर्तन

देश के प्रसिद्ध भजन गायक और संत अयोध्या में भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। हनुमानगढ़ी, कनक भवन, और अन्य मंदिरों में रात्रि भर भजन-कीर्तन चलता रहता है। राम भजन, हनुमान चालीसा, और रामायण पाठ का आयोजन होता है।

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कला प्रदर्शनी

रामायण और अयोध्या के इतिहास पर आधारित कला प्रदर्शनी आयोजित की जाती है। चित्रकला, मूर्तिकला, और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई जाती है। स्थानीय कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है।

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आतिशबाजी

दीवाली की रात को भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है। सरयू नदी के ऊपर रंग-बिरंगी आतिशबाजी का नजारा अद्भुत होता है। पर्यावरण के अनुकूल आतिशबाजी का उपयोग किया जाता है।

🎉 अन्य आकर्षण

खाद्य मेला: अयोध्या के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद
हस्तशिल्प बाजार: स्थानीय हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह
फोटो प्रतियोगिता: दीपोत्सव की सुंदर तस्वीरें
सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं: नृत्य, संगीत, कविता पाठ

🧳 पर्यटकों के लिए संपूर्ण गाइड

📅 योजना बनाएं

  • बुकिंग: कम से कम 1-2 महीने पहले होटल बुक करें
  • टिकट: ट्रेन/फ्लाइट टिकट पहले से बुक करें
  • मौसम: नवंबर में ठंड होती है, गर्म कपड़े रखें
  • समय: कम से कम 2-3 दिन का समय रखें

🏨 आवास

  • होटल: 3-5 सितारा होटल उपलब्ध
  • धर्मशाला: किफायती विकल्प
  • गेस्ट हाउस: सरकारी और निजी
  • होमस्टे: स्थानीय अनुभव के लिए

🚗 परिवहन

  • स्थानीय: ई-रिक्शा, ऑटो, टैक्सी
  • शटल सेवा: मुख्य स्थलों के लिए
  • पैदल: घाटों पर पैदल चलना सुरक्षित
  • पार्किंग: निर्धारित स्थानों पर

🛡️ सुरक्षा सुझाव

  • भीड़: भीड़ में सावधान रहें, बच्चों का ध्यान रखें
  • सामान: कीमती सामान होटल में रखें
  • आग: दीप जलाते समय सावधानी बरतें
  • हेल्पलाइन: आपातकालीन नंबर साथ रखें

📸 फोटोग्राफी टिप्स

  • सर्वश्रेष्ठ समय: संध्या काल (शाम 6-8 बजे) जब दीप जलाए जाते हैं
  • स्थान: राम की पैड़ी से सरयू नदी का विहंगम दृश्य
  • उपकरण: ट्राइपॉड और अच्छा कैमरा/स्मार्टफोन
  • अनुमति: कुछ स्थानों पर फोटोग्राफी प्रतिबंधित हो सकती है

💡 महत्वपूर्ण सुझाव

✅ आरामदायक जूते पहनें (बहुत चलना पड़ता है)
✅ पानी की बोतल साथ रखें
✅ मोबाइल फुल चार्ज रखें
✅ आपातकालीन दवाएं साथ रखें
✅ स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करें
✅ पर्यावरण को स्वच्छ रखें

💰 आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

पर्यटन और रोजगार

अयोध्या दीपोत्सव ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा दिया है। हर वर्ष लाखों पर्यटक अयोध्या आते हैं, जिससे होटल, रेस्तरां, परिवहन, और हस्तशिल्प उद्योग को लाभ होता है।

📊 आंकड़े (अनुमानित)

  • पर्यटक: 10-15 लाख (दीपोत्सव सप्ताह में)
  • रोजगार: हजारों अस्थायी नौकरियां
  • आर्थिक गतिविधि: सैकड़ों करोड़ रुपये
  • होटल अधिभोग: 100% (पूर्ण बुकिंग)

🏪 लाभार्थी क्षेत्र

  • होटल और धर्मशालाएं
  • रेस्तरां और खाद्य विक्रेता
  • परिवहन सेवाएं
  • हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह विक्रेता
  • फोटोग्राफर और गाइड

सांस्कृतिक पुनर्जागरण

दीपोत्सव ने अयोध्या की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित किया है। युवा पीढ़ी को अपनी धरोहर से जुड़ने का अवसर मिला है। रामायण और भारतीय संस्कृति के प्रति वैश्विक स्तर पर रुचि बढ़ी है।

🙏 निष्कर्ष

अयोध्या दीपोत्सव केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिक परंपरा, और सामूहिक उत्साह का प्रतीक है। 21 लाख से अधिक दीपों की ज्योति न केवल अयोध्या को, बल्कि पूरे विश्व को प्रकाशित करती है।

"जब सरयू के तट पर लाखों दीप जलते हैं, तो ऐसा लगता है मानो त्रेतायुग में राम की वापसी का वह पावन क्षण फिर से जीवंत हो उठा हो। हर दीप भगवान राम के स्वागत की कहानी कहता है, और हर हृदय में भक्ति और प्रेम की ज्योति जलाता है।"

जय श्री राम! जय अयोध्या! जय दीपोत्सव! 🪔

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